मलेरिया
मलेरिया एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है। मलेरिया सबसे प्रचलित संक्रामक रोगों में से एक है तथा भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। मलेरिया के परजीवी का वाहक मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर है। इसके काटने पर मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में प्रवेश कर के बहुगुणित होते हैं जिससे रक्तहीनता (एनीमिया) के लक्षण उभरते हैं (चक्कर आना, साँस फूलना, द्रुतनाड़ी इत्यादि) । इसके अलावा अविशिष्ट लक्षण जैसे कि बुखार, सर्दी, उबकाई, और जुखाम जैसी अनुभूति भी देखे जाते हैं। गंभीर मामलों में मरीज मूर्च्छा में जा सकता है और मृत्यु भी हो सकती है मलेरिया का बुखार ठण्ड लगकर आता है| इस बुखार में रोगी के शरीर का तापमान १०१ -१०५ डिग्री तक बना रहता है | इसमें रोगी के जिगर और तिल्ली बढ़ जाते हैं |
आईये जानते हैं मलेरिया बुखार के कुछ
उपचार -
१- तुलसी के सेवन से प्रकार के बुखारों में लाभ होता है | १० ग्राम तुलसी के पत्ते और ७ काली मिर्च को पानी में पीस कर सुबह और शाम लेने से मलेरिया बुखार ठीक होता है |
२- अमरुद का सेवन मलेरिया में लाभप्रद है | मलेरिया बुखार में प्रतिदिन एक अमरुद खाना चाहिए |
३- प्याज़ के आधे टुकड़े का रस निकाल लें और उसमे एक चुटकी काली मिर्च मिला लें | सुबह -शाम इसके सेवन से मलेरिया बुखार में आराम मिलता है |
४- ५०-६० ग्राम नीम के हरे पत्ते और चार काली मिर्च एक साथ पीस लें | अब इसे १२५ मिलीलीटर पानी में उबाल लें| छानकर पीने से मलेरिया में लाभ होता है|
५- गिलोय के काढ़े या रस में शहद मिलाकर ४०-८० मिलीलीटर की मात्रा में रोज़ सेवन करने से मलेरिया में लाभ होता है ।
६- धनिया और सौंठ के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर रोज़ दिन में तीन बार पानी से लें | ऐसा करने से मलेरिया के बुखार में राहत मिलती है |
७- आधे नींबू पर काली मिर्च का चूर्ण और कालानमक लगाकर धीरे -धीरे चूसने से मलेरिया बुखार दूर होता है |
Sabtu, 01 Agustus 2015
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